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शंकर देव
शंकर देव का जन्म असम में 1449 में हुआ था। वे भारतवर्ष के महान् 'भक्त' संतों में से एक थे। उनके द्वारा असम में चलाये गये एकशरण धर्म के वैष्णव आंदोलन के बिना उस प्रदेश की अनेक जनजातियाँ हिन्दू समाज की मुख्यधारा का अंग बनने से वंचित रह जातीं। उन्होंने काचारी, मिरी, गारो और मिकिर लोगों के हृदयों में भक्ति द्वारा एक नयी आशा का संचार किया।
उनके द्वारा स्थापित नामघरों या पूजास्थलों में सब को समान रूप से प्रवेश का अधिकार था और सब भगवान की पूजा कर सकते थे।
आज असम के लगभग प्रत्येक गाँव में एक नामघर है। यहाँ नियम से नाम कीर्तन और पर्व-त्योहार ही नहीं होते, वरन् ये सार्वजनिक गतिविधियों का स्थल भी हैं। ये नामघर एक प्रकार की ग्राम पंचायत जैसे हैं, जिन्हें आज एक शक्तिशाली धार्मिक और सामाजिक संस्था माना जाता है।
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